देहरादून-
लेख-नवदीप डोभाल
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उत्तराखण्ड सरकार द्वारा लागू समान नागरिक संहिता कानून मे लिवइन रिलेसनशिप के प्राविधान
बड़े विसंगतियों से भरे हुये है, जिसमें लिवइन रिलेशन शिप मे एक वर्ष तक रहने पर उन्हें उत्तराखण्ड का मूल निवासी मान लिया जायेगा, जबकि मूल निवास के लिए उत्तराखण्ड का जनमानस अपनी मांग के लिए सन 1950 तक उत्तराखंड मे जन्मे निवासियों को उत्तराखण्ड
मूल निवासी होने के प्राविधान की मांग करती आ रही है, और
प्रबल संभावना है कि आगामी विधानसभा चुनाव शायद इसी तर्ज पर हो, पर यू. सी. सी. कानून के इन प्रविधानो ने इन संभावनाओं पर पानी फेर दिया है, यह तो लिवइन रिलेशन शिप मे रहने वालों के लिए एक अड्डा बन जायेगा, जहाँ बिना कुछ उन्हें यहाँ के नागरिक का दर्जा मिल जायेगा, फिर उस मूल निवास और भू-क़ानून का क्या होगा, जिसको लागू करने के लिए धामी सरकार राज्य निवासियों को आश्वस्त करती आ रही है, क्योंकि यह राज्य पर्वतीय मूल निवासियों के कल्याण, विकास और उनके हितों की सुरक्षा के बना था, न कि सरकारों की वोटों की तुष्टिकरण नीतियों के लिए….!!