क्षेत्र पंचायत ख्यार्सी की जनता का जताया आभार-आरती पंवार

टिहरी ब्यूरो-

लोकतंत्र संयम एवं धीरज के साथ जन सामूहिकतावाद में आज नहीं तो कल ऊंचाई दे ही देता है. बशर्त गाँव, समाज, क्षेत्र में हमारी आत्मीयता लोकतंत्र के पर्व में हारकर भी सादगीपूर्ण बनी रहे. मैं स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूँ कि मेरी क्षेत्र पंचायत सदस्य हेतु पूर्व में कतई तैयारी नहीं थी फिर भी ख्यार्सी वार्ड पंचायत क्षेत्र के अंतर्गत गैड ,चामासारी,थापला पुजालडी,छौती,टकारना चढ़ोगी,और ख्यार्सी, की जनभावनाओं ने अपने मतों में मुझे अपार भावी आधार हेतु हारकर भी जीत दे दी !

लोकतंत्र की स्थानीय सरकार की परम्परा में स्थानीयता में हार-जीत इस पर्व का सार्थक अर्थ समझा जाती है. अर्थात हार-जीत इस लोकतंत्र का ऐसा ‘लोक पर्व’ है जो जमीनी धरातल एवं जमीनी धरातलीय भावना से जीतने वालों को संवैधानिक मूल्यों के साथ ग्रामीण भारत की मजबूत नींव रखने का नैतिक एवं आदर्शवादी मानवीय मूल्य देते हैं. चुनाव में हारने वाले को पांच वर्षीय होमवर्क दे जाता है कि दौर फिर आयेगा हार के बाद जीत होगी किंतु इस अवधि में गांव की बुनियादों बातों से आत्मीय स्वरूप में समाजवादी सोच के साथ मानवीय कार्यों में लोक हितार्थ सेवाभाव समर्पित निष्ठा से रखना होगा.

मैं हाकर भी बेहद खुश हूं और लोक भावना में लोकमत से निर्वाचित क्षेत्र पंचायत सदस्य श्रीमती निधि राणा बडियाडी को लोकतांत्रिक आदर्श आचार शास्त्र/प्रोटोकॉल के अनुरूप हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें देता हूँ, उम्मीद करता हूँ आपके संवैधानिक नेतृत्व में गांव, समाज एवं क्षेत्रीयता में गाँवों के विकास में आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक खुशहाली के साथ सतत विकास होगा. मैं इस भावना से पुनः आप सबके प्रति हार्दिक आभार एवं धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ कि निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ सहयोगी भावना से मैं भी अपना योगदान निष्ठापूर्वक सकारात्मकता के साथ सहभागी रहूंगा…हार-जीत तो वैसे भी एक दूसरे की विरोधी नहीं अपितु पूरक होती है…
आरोप प्रत्यारोप से लोकतंत्र की परिभाषा परिभाषित नहीं होती हैं…धीरे-धीरे अर्थवाद के सशक्तिकरण से लोकतंत्र स्वछंदतावाद के मौलिक मार्ग में है…जिसमें सेवाभाव ही संवैधानिक नेतृत्व का आधार अर्थवाद की शून्यता की ओर अग्रसर है…।

रिपोर्ट-✍️जितेन्द्र गौड़