देहरादून ब्यूरो-✍️जितेन्द्र गौड़
पिछले कुछ दिनों से देहरादून शहर के अलग अलग क्षेत्रों में बस्ती में रहने वाले लोग अलग अलग कार्यक्रमों द्वारा एक ही मांग उठा रहे हैं: किसी को बेघर न किया जाये! इसी सप्ताह में ऐसी सभाएं हुई हैं सिंघल मंडी, चिड़ोवाली, जाखन विवेक विहार, शास्त्रीनगर और अन्य क्षेत्रों में हुई हैं। इसके आलावा अन्य संगठन भी और ख़ास तौर पर बस्ती बचाओ अभियान के तहत भी ऐसे कार्यक्रम हो रहे हैं। जनता की और से एक सवाल भी सामने आ रहा है -17 जनवरी को मुख्यमंत्री ने कहा था कि एक भी मज़दूर बस्ती नहीं टूटेगी, लेकिन चुनाव होते ही कभी एलिवेटेड रोड के नाम पर, कभी कोर्ट के आदेश के बहाने, कभी फ्लड जोन के नाम पर लगातार लोगों को बेघर करने का प्रयास चल रहा है। इसलिए आज से विभिन्न संगठनों की और से शहर भर में पोस्टर अभियान भी शुरू हो रहा है। इसके द्वारा इस सवाल के साथ अन्य बुनियादी सवालों को पूछे जायेंगे – एलिवेटेड रोड पर उत्तराखंड का स्वास्थ इंफ्रास्ट्रक्चर बजट से 43 गुना ज्यादा पैसे खर्च करने के लिए सरकार क्यों योजना बना रही है? कोर्ट के आदेशों से होटल, रेस्टोरेंट, सरकारी विभागों को बचाने के लिए मज़दूरों के घरों को तोड़े जा रहे हैं क्या? पोस्टर अभियान में चेतना आंदोलन, सीपीएम ,सीपीआई, सीआईटीयू ,बस्ती बचाओ आन्दोलन, जनवादी महिला समिति, समाजवादी पार्टी, सर्वोदय मंडल, INTUC, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी एवं अन्य विपक्षी दलों और जन संगठनों की और से किया जा रहा है।