स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केन्द्र देवभूमि उद्यमिता योजना के अंतर्गत उद्यमिता विकास कार्यक्रम के 𝟏𝟎वें दिन छात्रों ने दिखाया नवाचार

उत्तरकाशी ब्यूरो-✍️जितेन्द्र गौड़

बड़कोट-राजेन्द्र सिंह रावत राजकीय महाविद्यालय, बड़कोट में चल रहे देवभूमि उद्यमिता विकास कार्यक्रम के दसवें दिन का आयोजन भव्य रूप से संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं को स्थानीय संसाधनों के व्यावसायिक उपयोग, स्वरोजगार के अवसरों एवं उद्यमिता के प्रति जागरूक करना है। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. विनोद कुमार ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में बृजेश तिवारी, उप-जिलाधिकारी, बड़कोट उपस्थित रहे। अति विशिष्ट अतिथि के रूप में वन अधिकारी  रविंद्र पुंडीर भी कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।


इस कार्यक्रम की नोडल अधिकारी डॉ. अंजु भट्ट ने मंच संचालन का दायित्व निभाते हुए प्रतिभागियों को उच्च शिक्षा ग्रहण करने के साथ आत्मनिर्भर बनने के लिए कौशल विकास करने के लिए प्रेरित किया। डॉ अंजु भट्ट के छात्र छात्राओं को देव भूमि उद्यमिता योजना के महत्व और प्रासंगिकता से अवगत कराते हुए उन्हें उद्यमी बनने के लिए प्रेरित किया।कार्यक्रम के समन्वयक नरेश नौटियाल (अध्यक्ष, रूद्र एग्रो) रहे।
स्थानीय उत्पादों की भव्य प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केंद्र इस कार्यक्रम के अंतर्गत छात्र-छात्राओं द्वारा तैयार किए गए विभिन्न हस्तनिर्मित एवं पारंपरिक उत्पादों की एक भव्य प्रदर्शनी लगाई गई, जिसमें कुल 𝟏𝟖 स्टॉल लगाए गए। इस प्रदर्शनी में निम्नलिखित स्थानीय उत्पादों को प्रदर्शित किया गया: बुरांश का जूस – औषधीय गुणों से भरपूर, पहाड़ों की प्राकृतिक सौगात – पहाड़ी नमक (विभिन्न फ्लेवर में) पारंपरिक तरीकों से तैयार किया गया शुद्ध और स्वास्थ्यवर्धक नमक लोकल अचार एवं पहाड़ी मसाले जैविक उत्पादों से तैयार स्वादिष्ट और सुगंधित मसाले पहाड़ी दालें – मंडुवा, मारसा, सत्तू, लाल चावल, झंगोरा जैसी स्थानीय अनाज और दालें – हाथ से बनी बड़ी और अरसे – पारंपरिक उत्तराखंडी व्यंजन, जो विशेष अवसरों पर बनाए जाते हैं – चावल के पापड़– पहाड़ी शैली में तैयार किए गए कुरकुरे और स्वादिष्ट पापड़ – स्टोन आर्ट– पत्थरों पर उकेरी गई आकर्षक कलाकृतियाँ, जो उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती हैं इसके अलावा, बुरांश के फूलों से बनाया गया एक सुंदर सेल्फी स्टैंड भी प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण रहा। इस स्टैंड को स्थानीय फूलों और हस्तशिल्प तकनीक का उपयोग करके तैयार किया गया, जिसने उपस्थित दर्शकों और अतिथियों का ध्यान आकर्षित किया। विशेषज्ञों ने उद्यमिता के महत्व पर दिया जोर कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों ने स्थानीय उत्पादों को व्यावसायिक रूप देने और स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने पर विशेष जोर दिया। प्राचार्य डॉ. विनोद कुमार ने कहा, “इस प्रकार के कार्यक्रम छात्रों को सिर्फ ज्ञान प्रदान नहीं करते, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी अग्रसर करते हैं। उत्तराखंड में स्वरोजगार और उद्यमिता के असीमित अवसर उपलब्ध हैं, जिन्हें सही मार्गदर्शन और मेहनत से पहचाना जा सकता है।”उप-जिलाधिकारी ने कहा “उत्तराखंड जैव विविधता और प्राकृतिक संपदाओं से समृद्ध राज्य है। यदि स्थानीय युवाओं को सही प्रशिक्षण और बाजार उपलब्ध कराया जाए, तो वे अपने उत्पादों को देश-विदेश तक पहुंचा सकते हैं। सरकार भी इस दिशा में कई योजनाओं के माध्यम से सहयोग कर रही है।”वन अधिकारी रविन्द्र पुंडीर ने बताया कि, “वन विभाग की ओर से कई स्थानीय उत्पादों के व्यवसायिक उपयोग को बढ़ावा देने की पहल की जा रही है। बुरांश, किल्मोड़ा, बेडू, माल्टा, रीठा आदि जैसे वन उत्पादों से रोजगार के नए अवसर विकसित किए जा सकते हैं।

“कार्यक्रम के समन्वयक नरेश नौटियाल ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि, “स्थानीय उत्पादों के सही विपणन एवं ब्रांडिंग के माध्यम से पहाड़ी क्षेत्रों में भी बड़े स्तर पर रोजगार के अवसर उत्पन्न किए जा सकते हैं। इस कार्यक्रम के माध्यम से हम युवाओं को यह समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि वे पारंपरिक व्यवसायों को आधुनिक तकनीक और बाजार की मांग के अनुरूप ढालकर लाभ कमा सकते हैं।”
कार्यक्रम की समाप्ति एवं भविष्य की योजनाएँ कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों ने विद्यार्थियों के प्रयासों की सराहना की एवं स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाने की आवश्यकता पर बल दिया। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि स्थानीय संसाधनों को पहचानकर, उनके उचित उपय उत्तराखंड के युवाओं को आत्मनिर्भर जा सकता है। यह कार्यक्रम 𝟐 अप्रैल 𝟐𝟎𝟐𝟓 तक रहेगा जिसमें व विशेषज्ञ उद्यम विपणन रणनीतियों एवं व्यावसायिक कौशल पर छात्रों को मार्गदर्शन प्रदान करेंगे।